Saturday, March 8, 2014

स्त्री....

नहीं तुम नहीं डरना
अन्धकार से
वही करना जो तुम चाहो
पूर्ण अधिकार से

सम्मान देकर
सम्मान ही पाना
राह के रोड़े
ठोकर से हटाना

उजाला करेंगे
मिलकर के सारे
आत्मविश्वासी जुगनू
बनाकर कतारें

चाँद-सूरज साथ
जब न होंगे तुम्हारे
अँधेरे में रोशन होंगे
तुम्हारे सितारे...............
-अर्चना

7 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बिल्कुल सही!! सटीक सन्देश!!

प्रवीण पाण्डेय said...

जहाँ हों, वही चमकना होगा।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (10-03-2014) को आज की अभिव्यक्ति; चर्चा मंच 1547 पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

मुकेश कुमार सिन्हा said...

सार्थक !!

Unknown said...

bahut sunder prastuti

सोमेश सक्सेना said...

अच्छा सन्देश है..