Thursday, December 11, 2008

आह्वान!!

आओ सुनहरे सपनों को बुनें ,
अच्छाई और सच्चाई को चुनें ,
बुजुर्गों के अनुभवों को भुनें ,
अभावों में अपना सर न धुनें ,
मुश्किलों से लडें उत्साह
में दूनें ,
अपने दिल की सुनें ,
फ़िर कोई न कह सके - देर कर दी तूने ,
चलो मेरे साथ आसमान छूने ।

3 comments:

निर्मला कपिला said...

vaah aracanaa jee sac me ye nazar se rah gayee bahut badiyaa badhaaI

M VERMA said...

अच्छा आह्वान

अनुपमा पाठक said...

वाह!