Wednesday, February 11, 2009

खेल-खेल में

इन दिनों वातावरण में परीक्षा की खुशबू आने लगी है|हर तरफ़ बोर्ड परीक्षाओ के चर्चे चालू हो गए है| बच्चो को अगले महीने होने वाली परीक्षा का डर सताने लगा है |माता-पिता बच्चो के सोने,जागने,उठने ,बैठने ,खाने- पीने से लेकर आने -जाने तक नजर रखने में लग गए है|सभी स्कूलों में "fairwell" हो रहा है|इसी माहौल कोध्यान में रखते हुए ,स्कूलीजीवन पूरा करके कॉलेज में प्रवेश करने वाले सभी विद्यार्थियों को, एक स्पोर्ट टीचरकी ओर से, अनेक शुभकामनाओ और आशीर्वाद सहित समर्पित ये कविता -------
"खेल -खेल में"
आओ तुम्हें बताऊं बात एक आज,
खोलूं अपने दिल का एक राज,
मेरा मन कभी पढाई मे नहीं लगता था,
हमेशा कक्षा की खिडकी से बाहर ही भागता था,
बहुत डरती थी मै पढाई करने से,
और हमेशा बचती थी कक्षा में खडे होकर पढने से,
मुझे हमेशा खेल बहुत भाए है,
लगता था जैसे ये मेरी ही माँ के "जाए" है,
कसकर हमेशा खेलों का पकडा था हाथ,
फ़िर भी जाने कब? किस मेले मे, छूट गया था साथ,
कभी जब अपने बारे में सोचती हूं ,तो पाती हूं,
कि घर में सबसे बडी हूं, और सबसे ज्यादा पढी हूं,
शायद खेल और पढाई की दोस्ती थी,
और खेल ने ही छुपकर पढाई की उंगली पकड रखी थी,
पढाई मुझे बिना बताए मेरे साथ चलती रही,
और खेल को सामने देख मै खुश होती रही,
मै नहीं जानती थी कि जिन्दगी में कभी ऐसा मोड आएगा,
जहाँ पढाई आगे और खेल पीछे हो जाएगा,
पर बच्चों- हमेशा से ऐसा ही होता आया है,
पढाई ने हमेशा ही खेल को हराया है,
मगर अब समय रहते तुम इस बात को जान लेना,
खेल की "ऊँगली" और पढाई का "हाथ" थाम लेना,
तुम्हारे अन्दर भी बहुत "कुछ" है,
जो तुमने अब तक नहीं पाया है,
शायद ईश्वर ने उसे बहुत ही अन्दर छुपाया है,
तुम्हें यहाँ से आगे जाकर भी उसे ढूंढना है,
बहुत दूर तक चलना है,
दादा की लाठी लेना है,
दादी का हाथ पकड़ना है,
पिता के कंधे का बोझ हल्का करना है,
माँ के सपनों को पूरा करना है,
जीवन की नदिया मे बहकर सागर से जाकर मिलना है,
दुनियाँ के आसमान में रोशनी बनकर चमकना है,
अपना नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों पर लिखना है,
यहाँ तक तो सबका साथ था--
अब तुम्हें अकेले ही आगे बढ़ना है,
चाँद पर तो सब जा चुके ,
तुम्हें सूरज के घोडों पर चढना है।

3 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा आशावादी रचना. बधाई. क्या आप ब्लॉगवाणी http://www.blogvani.com/ और चिट्ठाजगत http://www.chitthajagat.in/ पर पंजीकृत हैं ताकि अन्य ब्लॉगर आपकी नई पोस्टों के बारे में जान सकें. यदि नहीं, तो मुझे बतायें..मैं करवाने का प्रयास करता हूँ.

Archana Chaoji said...

धन्यवाद समीरजी,
आपने अपना समय दिया।आभार, ब्लॊग्वाणी पर पंजीक्रत हूं।चिठ्ठाजगत के बारे मे जानकारी नही है।

Unknown said...

namaste aunty ji bahot khela mene apni life mai per itne karib se nahi dekha or naa hi itna socha tha aaj k pehle bahot accha laga.
keep it up n all the best.....