Wednesday, September 22, 2010

जी करता है जी लूं--

मेरे नसीब में नहीं है, जीना प्यार की जिंदगी
दिल करता है ले लू, जो मिले उधार की जिंदगी
सुन -सुन कर किस्से, खुशियों भरे गुलशन के
जी करता है जी लू, थोड़ी सी बहार की जिंदगी ....

10 comments:

M VERMA said...

जी करता है जी लू, थोड़ी सी बहार की जिंदगी ....
यकीनन

अजय कुमार झा said...

चार पंक्तियों में आपने बहुत ही सुंदर बात कह दी

प्रवीण पाण्डेय said...

बेहतरीन, बस मेरी चाह है, यही मेरी राह है।

उम्मतें said...

ख्याल नेक है :)

डॉ. मोनिका शर्मा said...

चार पंक्तियों में जीवन का सार और बहार शामिल किया है.....
बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ हैं.....

संजय कुमार चौरसिया said...

bahut sahi hai

राजीव तनेजा said...

हर किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता इस दुनिया में ..फिर भी किसी ना किसी बहाने जिए चले जा रहे हैं ...
सुन्दर रचना

Smart Indian said...

जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः।। [गीता]

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

सदा said...

बहुत खूब, सुन्‍दर पंक्तियों ने भावविभोर कर दिया, आभार ।