Thursday, September 29, 2016

अब उठ, उठ कर चल...

अब उठ, उठ कर चल...


अतीत के अँधेरे से बाहर निकल
एक नया सबेरा नजर आयेगा 
खुशबुओं से महकेगी फ़ुलवारी
हर पत्ता ओस को सहलायेगा
उजली किरण से रोशन होगा आशियाँ
और हर तरफ तू ही तू जगमगाएगा
जमाना करेगा तुझे याद हमेशा
और ज़माने में तेरा नूर नज़र आएगा ....
-अर्चना


4 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बहुत ख़ूबसूरत बात हमेशा की तरह!

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

सुन्दर

Shashi said...

Very nice and touching !!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ख़ूबसूरत :)