Monday, October 31, 2016

जग घुमिया थारे जैसा न कोई

एक अरसा हो गया इसी तरह लड़ते-लड़ते-

जब भी रिश्तेदारों /मित्रों से मिलना होता है - एक वाक्य खुद की तारीफ़ में सुनती हूँ -  बहुत हिम्मती हूँ। ....
सचमुच बहुत हिम्मत का काम है - अकेले अपने-आप से जूझना..लड़कर जीतना ... और सबसे आसान तरीका होता है जीतने का  -खुद को कोई काम में उलझा दो,सिलाई,कढ़ाई,बुनाई,रसोईया फिर चित्रकारी,रंगोली या फोटोग्राफी (आलतू-फालतू की) .. या तो बहुत बहुत बोलो/लिखो /पढ़ो या बिलकुल चुप्पी लगा लो!

. अभी वैसा ही मन बना हुआ है ... खुद पर ही गुस्सा आ रहा है , कहीं लड़ते-लड़ते हार न जाऊं ,डर घर कर रहा है। . :-(

फिर एक बार  .. मैं मायरा की बातें याद कर रही हूँ - आज सलमान खान की एक्टिंग में वीडियो चैट दिखाई उसने - "जग घुमिया थारे जैसा न कोई "

-लिखी जा रही- अनवरत चलने वाली कहानी


4 comments:

कविता रावत said...

सच अपनों की प्यारी बातें दूर होने पर बहुत आती हैं
... शुभ दीपावली

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’नमन भूगोल रचने वाले व्यक्तित्वों को - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

प्रतिभा सक्सेना said...

दूर होने पर ही पता चलता है कि कोई हमारे लिये कितना महत्व रखता है.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

प्यारी बातें आपकी, प्यारा गीत यह ..वाह! आनंद आया..पढ़कर, सुनकर.